कैसी यह मनहूस घड़ी है, कोरोना की मार पड़ी है। कैसी यह मनहूस घड़ी है, कोरोना की मार पड़ी है।
बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह जाती हैं खामोशियां कभी इनको सुनने की कोशिश तो कर. बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह जाती हैं खामोशियां कभी इनको सुनने की कोशिश तो कर.
एक और सपूत सो गया सब सपने अपने साथ ले गया पर नाम बहुत ऊंचा कर गया भारत माँ की उत्कृष्ट सेवा कर गया। एक और सपूत सो गया सब सपने अपने साथ ले गया पर नाम बहुत ऊंचा कर गया भारत माँ की उत...
बहुत मज़ा बहुत मज़ा
बीते बहुत दिन, लिखा नहीं एक शब्द बीते बहुत दिन, लिखा नहीं एक शब्द
और सोचता हूँ के तू मेरा सपना था या हकीकत, और सोचता हूँ के तू मेरा सपना था या हकीकत,